बता दें, जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) की पांच लोकसभा सीटों पर चुनाव हुए हैं. इस चुनाव में 35 साल के बाद जमकर मतदान देखने को मिला है. पहले राज्य में 6 लोकसभा सीटें थीं. लद्दाख के अलग होने के बाद अब जम्मू-कश्मीर में पांच लोकसभा सीटें बची हैं. बारामूला, श्रीनगर, अनंतनाग, जम्मू और उधमपुर.
2019 में जम्मू कश्मीर में लद्दाख भी शामिल था. यही कारण है कि जम्मू कश्मीर में पहले 6 लोकसभा की सीटें होती थी. 2019 में भाजपा ने तीन और नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) ने तीन सीटों पर कब्जा जमाया था. भाजपा ने जम्मू, उधमपुर और लद्दाख सीट पर भगवा लहराया था. वहीं, कश्मीर घाटी की तीन सीटें- बारामुला, श्रीनगर, अनंतनाग पर नेशनल कॉन्फ्रेंस ने चुनाव जीता था. कई एग्जिट पोल में इंडिया गठबंधन को 3 और एनडीए को 2 सीटों पर जीत का अनुमान लगाया गया है.
जम्मू-कश्मीर में 100 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला होना है, जिनमें वरिष्ठ भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह, दो पूर्व मुख्यमंत्री नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की महबूबा मुफ्ती हैं. कठुआ-उधमपुर लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार जितेंद्र सिंह हैं, जबकि उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती क्रमश: बारामूला और अनंतनाग-राजौरी निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ रहे हैं.
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह को कांग्रेस के चौधरी लाल सिंह, उमर अब्दुल्ला को पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (पीसी) के सज्जाद गनी लोन और अवामी इत्तेहाद पार्टी (एआईपी) के इंजीनियर राशिद से चुनौती मिल रही है, जबकि मुख्य प्रतिद्वंद्वी के तौर पर महबूबा मुफ्ती को नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के मियां अल्ताफ अहमद से चुनौती मिल रही है.