दुनिया पर मंडराते तीसरे विश्व युद्ध के खतरों के बीच संयुक्त राष्ट्र महासभा में परमाणु हथियारों से मुक्ति को लेकर महत्वपूर्ण चर्चा हुई। जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने मंगलवार रात कहा कि वह दुनियाभर में परमाणु हथियारों को खत्म करने के प्रयासों का नेतृत्व करना चाहते हैं और परमाणु हथियार संपन्न देशों को उन देशों के साथ चर्चा में शामिल करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, जिनके पास परमाणु हथियार नहीं हैं। किशिदा ने परमाणु हथियारों में इस्तेमाल होने वाली सामग्री पर रोक लगाने को लेकर 1993 में हुई संधि ‘फिसाइल मैटीरियल कटऑफ ट्रीटी’ (एफएमसीटी) पर फिर से चर्चा करने का प्रस्ताव रखा, जिस पर संयुक्त राष्ट्र में कभी बात नहीं हुई। वहीं दूसरी तरफ ईरान अमेरिका के साथ पूर्व में हुए परमाणु समझौते पर वापस लौटने को लेकर अलग राग अलापता रहा।
जापान के पीएम किशिदा ने मंगलवार को तथाकथित ‘ग्लोबल साउथ’ के देशों से व्यापक समर्थन प्राप्त करने की उम्मीद में गैर-परमाणु हथियार रक्षा भागीदारों ऑस्ट्रेलिया और फिलीपीन के साथ एफएमसीटी उच्च स्तरीय वार्ता की सह-मेजबानी की। जापान दुनिया को परमाणु हथियार मुक्त बनाने की दिशा में विदेशी अनुसंधान संस्थानों में जापान की पीठ स्थापित करने के लिए तीन अरब येन (दो करोड़ अमेरिकी डॉलर) का योगदान देगा। किशिदा ने कहा कि दुनिया के पहले परमाणु हमले के शिकार हिरोशिमा का जनप्रतिनिधि होने के नाते, परमाणु निरस्त्रीकरण उनके “जीवन का लक्ष्य” है। उन्होंने कहा, “जापान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्य के रूप में परमाणु और गैर-परमाणु देशों के बीच वार्ता को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त राष्ट्र और अन्य देशों के साथ सहयोग करेगा।