भारत की शान चंद्रयान-3 अब से चंद घंटों बाद चंद्रमा की जमीन पर उतरकर नया इतिहास लिखने के बेहद करीब है। पूरी दुनिया की नजर इस पर बनी हुई है। भारत का हर नागरिक दिल थामकर इस ऐतिहासिक पल का साक्षी बनने जा रहा है। हालांकि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र यानी इसरो के वैज्ञानिकों की धड़कनें बढ़ी हुई हैं। वे चंद्रयान-3 की सुरक्षित लैंडिंग के लिए पूरी तरह से चुस्त और मुस्तैद हैं। अगर सबकुछ ठीक रहा तो शाम 6 बजकर 04 मिनट पर विक्रम लैंडर चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। हालांकि लैंडिंग के लिए लगभग 10 वर्ग किलोमीटर का दायरा तय किया गया है। अगर लैंडिंग के लिए एक जगह सही नहीं लगी तो दूसरी जगह भी तैयार रहेगी।
इसरो ने चंद्रयान-2 से सबक लेकर चंद्रयान-3 में व्यापक बदलाव किए हैं। चंद्रयान-2 के उतरने के लिए जितना क्षेत्र निर्धारित किया गया था, अब उसमें काफी बढ़ोतरी की गई है। लैंडिंग के लिए लगभग 10 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र तय किया गया है। अगर लैंडिंग के लिए एक जगह सही नहीं लगी तो दूसरी जगह भी तैयार रहेगी। वैसे भी चंद्रयान-3 चंद्रमा की ऐसी जगह उतर रहा है, जो सबसे ज्यादा चैलेंजिंग है। यहां खाइयां, पत्थर और उबड़ खाबड़ जगह हैं। दूसरे देशों के अंतरिक्ष यान इक्वेडर यानी चंद्रमा के बीचोंबीच विषुवत रेखा पर उतरे हैं, लेकिन हमारा चंद्रयान-3 चंद्रमा के उस हिस्से पर उतरने जा रहा है, जिसे पृथ्वी से नहीं देखा जा सकता। जहां हमेशा अंधेरा बना रहता है। यह जगह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर है, जहां इसरो के अनुसार तापमान शून्य से भी 220 डिग्री नीचे रहता है।