नई दिल्ली:Lok Sabha elections 2024: लोकसभा चुनाव के सातवें और अंतिम चरण में 57 निर्वाचन क्षेत्रों में एक जून को मतदान होगा. हिमाचल प्रदेश की सभी चार लोकसभा सीटों – शिमला, मंडी, कांगड़ा और हमीरपुर में भी शनिवार को मतदान होगा. हिमाचल प्रदेश में दो महीने तक चुनाव अभियान चला. अब शनिवार को चार लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ रहे 37 उम्मीदवारों और छह विधानसभा उपचुनावों में खड़े 25 उम्मीदवारों की किस्मत वोटिंग मशीनों में बंद हो जाएगी.
हिमाचल प्रदेश को छोटा काशी कहा जाता है क्योंकि यहां ज्यादातर अपने कुल देवताओं की पूजा की जाती है.
हिमाचल प्रदेश में मतदाता
कुल वोट – 57,11,969
सर्विसेज़ – 66,390
पुरुष – 29,13,050
महिला – 27,98,850
थर्ड जेंडर – 35
पोलिंग स्टेशन – 7992
सन 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (BJP) सभी चार सीटों पर विजयी हुई थी. वह इस बार फिर क्लीन स्वीप मारना चाहती है. कांग्रेस, जिसने 2022 के हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में 69 में से 40 सीटें हासिल करके जीत हासिल की थी, एक जून को अपनी चुनावी किस्मत पलटने को लेकर आश्वस्त है.
कौन-कौन मैदान में
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, वरिष्ठ कांग्रेस नेता आनंद शर्मा और अभिनेता कंगना रनौत सहित विभिन्न प्रमुख चेहरे हिमाचल की चार संसदीय सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं. इससे पहाड़ी राज्य के इस चुनाव पर बारीकी से नजर रखी जा रही है.
मंडी में ‘क्वीन’ और राजघराने के बीच मुकाबला
रामपुर राजघराने के उत्तराधिकारी और हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत वीरभद्र सिंह के बेटे कांग्रेस के विक्रमादित्य सिंह के खिलाफ मंडी सीट पर भाजपा ने अभिनेत्री कंगना रनौत को उतारा है. इस लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व वर्तमान में विक्रमादित्य की मां प्रतिभा सिंह कर रही हैं. वे 2004 और 2013 में भी विजयी हुई थीं.
हमीरपुर में अनुराग ठाकुर की पांचवीं कोशिश
हमीरपुर से केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर पांचवीं बार चुनाव लड़ रहे हैं. पहली बार वे 2008 में उपचुनाव में तब उतरे थे जब उनके पिता प्रेमकुमार धूमल ने इस्तीफा देकर मुख्यमंत्री का पद संभाल लिया था. इसके बाद अनुराग ठाकुर हमीरपुर से 2009, 2014 और 2019 में लगातार तीन बार विजयी हुए. वे इस बार पांचवीं जीत की कोशिश कर रहे हैं.
वैसे हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र भाजपा का गढ़ लंबे समय से रहा है. कांग्रेस ने यहां से सतपाल रायजादा को मैदान में उतारा है. हमीरपुर में 17 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं.
शिमला सीट पर 2009 से बीजेपी का कब्जा
वर्तमान में शिमला का लोकसभा प्रतिनिधित्व भाजपा की हिमाचल प्रदेश इकाई के अध्यक्ष सुरेश कश्यप कर रहे हैं. शिमला लोकसभा सीट अनुसूचित जाति (SC) के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित है.
बीजेपी ने पहली बार 2009 में कांग्रेस का गढ़ रही शिमला संसदीय सीट पर जीत हासिल की थी. तब से उसने अपनी जीत का सिलसिला बरकरार रखा है. साल 2019 में सुरेश कश्यप कांग्रेस के धनीराम शांडिल को 3.27 लाख से अधिक मतों के अंतर से हराकर विजयी हुए थे.
शिमला में इस बार कांग्रेस के विनोद सुल्तानपुरी का मुकाबला बीजेपी उम्मीदवार सुरेश कश्यप से है. हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह ने दो बार 1962 और 1967 में शिमला लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था.
कांगड़ा में आनंद शर्मा का मुकाबला राजीव भारद्वाज से
कांगड़ा लोकसभा सीट 1952 में हुए पहले लोकसभा चुनाव से ही अस्तित्व में है. कांगड़ा लोकसभा क्षेत्र में डलहौजी, चंबा, धर्मशाला और पालमपुर सहित 17 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. इस सीट से वर्तमान में बीजेपी के किशन कपूर सांसद हैं. उन्होंने 2019 में कांग्रेस नेता पवन काजल को 4.77 लाख से अधिक वोटों के अंतर से हराया था.
हिमाचल में चुनावी मुद्दे
कांग्रेस चुनाव प्रचार में अग्निवीर योजना के खिलाफ बढ़ते असंतोष और शिमला में सरकार को गिराने के लिए कथित रूप से “दिल्ली” का हाथ होने का मुद्दा उठाती रही.
उधर बीजेपी “मोदी तीसरी बार” (नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री) का नारा लगाती रही है. साथ ही बीजेपी ने हर सभा में अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को अपना चुनावी मुद्दा बनाया. चूंकि कांग्रेस ने मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के निमंत्रण को अस्वीकार किया था इसलिए वह कांग्रेस को “राम विरोधी” भी करार देती रही. वैसे विधानसभा उपचुनावों के चलते प्रचार में स्थानीय मुद्दे भी हावी रहे हैं.
हिमाचल में छह विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव हिमाचल प्रदेश में लोकसभा चुनावों के अलावा छह विधानसभा क्षेत्रों – सुजानपुर, धर्मशाला, लाहौल और स्पीति, बड़सर, गगरेट और कुटलेहर में उपचुनाव भी हो रहे हैं. बजट सत्र के दौरान सरकार के पक्ष में वोट करने के लिए पार्टी व्हिप का उल्लंघन करने पर कांग्रेस के बागियों को पद के अयोग्य ठहराया गया था. इससे छह विधानसभा सीटें खाली हो गई थीं.
इन विधायकों ने 29 फरवरी को राज्यसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पक्ष में मतदान किया था. बाद में वे अयोग्य ठहरा दिए गए. वे सभी बाद में भगवा पार्टी में शामिल हो गए और अपने संबंधित विधानसभा क्षेत्रों से भाजपा के टिकट पर ही उपचुनाव लड़ रहे हैं.