पर्यावरण विशेषज्ञों और कार्यकर्ताओं ने चेताया है कि संवेदनशील हिमालयी क्षेत्र में जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण के दौरान मानदंडों के उल्लंघन से पर्वतीय राज्यों में आपदाओं का खतरा बढ़ रहा है. पिछले सप्ताह सिक्किम में ल्होनक झील में हिमनद झील के फटने से आई बाढ़ के कारण मंगन, गंगटोक, पाकयोंग और नामची जिलों में जबरदस्त नुकसान हुआ था. इस घटना के कारण चुंगथांग बांध भी टूट गया था जिसे तीस्ता-3 बांध भी कहा जाता है.
विशेषज्ञों और कार्यकर्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि तीस्ता नदी पर बने बांधों की श्रृंखला ने आपदा को बढ़ावा दिया और प्रस्तावित तीस्ता चार बांध को रद्द करने की मांग की. पिछले दो दशकों में कई बार सरकारी एजेंसियों और शोध अध्ययनों में सिक्किम में हिमनद झील में बाढ़ के संभावित प्रकोप (जीएलओएफ) के बारे में चेताया गया है जिससे जानमाल का काफी नुकसान हो सकता है.
केंद्रीय जल आयोग द्वारा 2015 में किये गये एक अध्ययन में राज्य सरकार को स्पष्ट रूप से सूचित किया गया था कि तीस्ता पर ज्यादातर जलविद्युत परियोजनाओं से ऐसी घटनाओं का अधिक खतरा है.