मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व और ग्रामोद्योग मंत्री गुरु रुद्रकुमार के निर्देशन में विगत पौने पांच साल में रेशम प्रभाग ने दो लाख से लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया है। रेशम प्रभाग में संचालित नैसर्गिक टसर बीज प्रगुणन एवं संग्रहण कार्यक्रम अंतर्गत 2 लाख 5 हजार 565 लोगों को नियमित रोजगार मिला है। इस योजना अंतर्गत 6386.56 लाख नग नैसर्गिक टसर का ककून का उत्पादन किया गया है। जिससे एक लाख 9 हजार 856 अनुसूचित जनजाति और 19 हजार 196 अनुसूचित जाति के लोगों को रोजगार मिला है। राज्य के दंतेवाड़ा, जगदलपुर (बस्तर), उत्तर बस्तर के तहत कोण्डागांव, नारायणपुर, कांकेर तथा धमतरी, रायपुर, राजनांदगांव, कबीरधाम, दुर्ग, कोरबा, जशपुर, कोरिया जिला वनों से आच्छादित क्षेत्र है। इन सभी जिलों में मूलतः अनुसूचित जाति, जनजाति के परिवार निवास करते है जो कि समाज की मुख्य धारा से जुड़े गए हैं। इन लोगों को शासन द्वारा विभिन्न योजनाओं के माध्यम से स्वरोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की पहल पर रेशम पालन को कृषि का दर्जा मिला है। इससे रेशम पालन को बढ़ावा मिलेगा। वनांचल के सभी जिलों में नैसर्गिक कोसा उत्पादन के संग्रहण के माध्यम से अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों द्वारा आर्थिक लाभ अर्जित किया जा रहा है। इस दिशा में ग्रामोद्योग संचालनालय द्वारा प्राकृतिक वन क्षेत्रों में नैसर्गिक बीज का प्रगुणन कर उसे सघन वन क्षेत्रों में फैलाया जाता है, जिससे वनवासी हितग्राहियों द्वारा नैसर्गिक कोसा संग्रहण कर आय का एक अतिरिक्त साधन प्राप्त कर सकंे। इस क्षेत्र में निवासरत् परिवार मूलतः वनों पर आधारित उपज का विपणन कर अपना जीविकोपार्जन करते हैं। उक्त सभी जिलों के वन खण्डों में प्राकृतिक रूप से साल, साजा, सेन्हा, धौरा, बेर के वृक्ष प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं। इन वृक्षों में टसर कोसा की रैली, लरिया एवं बरफ प्रजाति के कोसाफल नैसर्गिक रूप से उत्पादित होते हैं।