राजनांदगांव : धान के बदले अन्य फसल लेने से कृषक हुए लाभान्वित

– दलहन, तिलहन एवं लघुधान्य फसलों का बढ़ा रकबा
– फसल परिवर्तन से खेत की उर्वरा शक्ति में हुई वृद्धि
– गोधन न्याय योजनांतर्गत तैयार वर्मी कम्पोस्ट के उपयोग से हुआ फायदा
– किसान श्री बल्लूराम को रागी की खेती से 68 हजार रूपए की हुई आय

जिले में दलहन व तिलहन एवं लघु धान्य फसलों के रकबे में लगातार वृद्धि हो रही है। कृषि विभाग की राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, जैविक खेती मिशन, आत्मा योजनांतर्गत भ्रमण, प्रशिक्षण, फसल प्रदर्शन द्वारा कृषकों को उपयुक्त भूमि पर धान के बदले अन्य फसल लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

कृषकों द्वारा अपने खेत में लगातार धान फसल लगाने से खेत की उर्वरा शक्ति धीरे-धीरे कम होने लगती है एवं उत्पादन में कमी आने लगती है। इस प्रकार से धान फसल लगाने से वांछित लाभ नहीं मिलता है। इस संबंध में कृषि विभाग के मैदानी अधिकारियों द्वारा डोंगरगांव विकासखंड के ग्राम अमलीडीह के कृषक श्री बल्लूराम को जानकारी दी गई। कृषक श्री बल्लूराम ने कृषि विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी के मार्गदर्शन में अपने खेत में राष्ट्रीय कृषि विकास योजनांतर्गत धान के बदले 1 हेक्टेयर में रागी की फसल लगाई। जिसमें शासन की महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजनांतर्गत तैयार वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग किया तथा रागी फसल का बीज भी कृषक को नि:शुल्क प्रदाय किया गया। जिसमें फसल कटाई के बाद 12 क्ंिवटल उत्पादन प्राप्त हुआ तथा रागी को विक्रय कर श्री बल्लूराम को राशि 68 हजार रूपए आय प्राप्त हुई। कृषक द्वारा बताया गया कि लागत और मुनाफा की तुलना उसके परम्परागत धान की फसल से करने पर उनका मुनाफा लगभग डेढ़ गुना अधिक प्राप्त हुआ है। अपनी इस सफलता से उत्साहित कृषक का कहना है कि अब प्रत्येक वर्ष अधिक से अधिक रकबे में रागी फसल का उत्पादन करेंगे। नये-नये उन्नत तकनीक के माध्यम से खेती करने का प्रयास करूंगा। उन्होंने बताया कि वे अन्य कृषकों को भी धान के बदले दलहन व तिलहन एवं लघु धान्य फसल लगाने की सलाह दे रहे हैं। धान की फसल लगातार लेने के कारण उत्पादन में कमी आ रही थी तथा पानी की समस्या का भी सामना करना पड़ रहा था। इस प्रकार से श्री बल्लूराम ने एक ओर जहां फसल परिवर्तन कर लाभ समझा, वहीं लघु धान्य के लाभ को देखते हुए इसे अपनाया और इसके उन्हें दूरगामी फायदे भविष्य में अवश्य प्राप्त होंगे।

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